तुम

जीत  हार में बदल गई I
अपने बेगानों में बदल गए I 
अब लोग कहते  हैं मुझसे, मुझे शिकायत नहीं होती I
शिकायत को भी, आदत में बदलते देखा है मैंने l 

उम्मीद अफ़सोस में बदल गई I
इरादे  अफ़सानो में बदल गए I
अब लोग कहते हैं मुझसे , मुझे  ख्वाहिश  नहीं होती I
ख्वाहिश को भी , गुनाह में बदलते देखा है मैंने l 

सच झूठ में बदल गया I
वादे यादों में बदल गए I
अब लोग कहते हैं मुझसे, मुझे भरोसा नहीं होता I
तुमको भी तो ,  बदलते देखा है मैंने l

ज़िन्दगी सबक में बदल गई I
साँसे सजा में बदल गयीं I
डर हकीकत में बदल गया I
मुस्तक़बिल अतीत में बदल गया I
अब लोग पूछते हैं मुझसे,
 क्या  मुझे दर्द नहीं होता ?
दर्द को भी,  राहत में बदलते देखा है मैंने l



निधि भारती 
मई ३०, २०१५ 
Image courtesy : Google 



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