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Showing posts from August, 2015

तुम्हारे लिए

ये तुम्हें क्या हुआ ये मुझे क्या हुआ    दूरियाँ बस दरमियाँ कैसे संभाले खुद को पिया,  दूरियाँ बस दरमियाँ  जो वो खास था तो कहाँ गया  जो वो पास था क्यों चला गया   कैसे मनाएँ खुद को पिया, दूरियाँ बस दरमियाँ जो वो प्यार था तो कहाँ गया  जो वो यार था क्यों चला गया  कैसे संभाले अब ये जिया ,  दूरियाँ बस दरमियाँ दूरियाँ अब दरमियाँ निधि  २३ अगस्त २०१५

हमनवाँ खुद को बना चलता रहे !

हमनवाँ  खुद को बना चलता रहे  है यही बेहतर इन्सां के लिए  कसमों को इरादों की जरुरत है कहाँ  हो गर जरूरी तो बस बात बदलता रहे  पावँ जो थक भी गए तो भी चलता रहे  है यही बेहतर इन्सां के लिए  ज़ख्म को अब मरहम की जरुरत है कहाँ  ज़िस्म को ख़ाक समझ बस चोट बदलता रहे  हो सफर मुश्किल तो भी चलता रहे  है यही बेहतर इन्सां के लिए  है नहीं मुमकिन इस जहाँ में खुदा होना  हो जो गर मुमकिन तो खुद को बदलता रहे  वक़्त के साथ साथ चलता रहे  है यही बेहतर जिंदगी के लिए इंसान को अब रूह की जरूरत है कहाँ  जश्न दर जश्न बस लिबास बदलता रहे   निधि  अगस्त १६    

बस यूँ ही

१.इश्क़ की रस्में  अजीब , तुम्हारी होना भी है और तुम्हें बताना भी नहीं  २.ज़िन्दगी और इश्क़ की रस्में दोनों निभाते रहे  जीते रहे ,जलते रहे और दिल को समझाते रहे ३. तुम बेवफा कैसे हुए ? खुदगर्ज़ तो हम हैं की तुम्हारे बिना भी ज़िंदा रह लिए  ४. दुनिया कहती रही की तुम बेवफा हो जो हमारे आंसू पोछने नहीं आये ,    लेकिन हमें आज भी यकीन है की तुम्हें हमारे आंसू पसंद नहीं  ५ .इश्क़ भी मुमकिन है  दोबारा और ज़िन्दगी भी      रात के बाद सुबह आती तो है हर रोज              निधि