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Showing posts from May, 2015

माँ

माँ , मुझमें मेरा कुछ भी नहीं , मैं जो हूँ , तुम हूँ  , तुम से हूँ , तुम सी हूँ  , लोग कहते हैं , तुम जैसी दिखती हूँ मैं I सच ? लेकिन मैं बस दिखती नहीं तुम सी , देखती भी हूँ तुम जैसा हीं I तुम सी हीं तीखी हूँ , तुम सी हीं मीठी हूँ   तुमसा हीं हँसती हूँ , तुमसा हीं रोती हूँ I तुम होती हो मेरे पास हमेशा हीं , मुझमें होती हो शायद , तभी तो मेरे संग हँसती हो , मेरे संग रोती हो , मेरी कड़वाहट में पिसती हो , मेरी मिठास में घुलती हो I पहचान लेती हो , जान लेती हो , मान लेती हो , मुझे और मेरी हर बात I कुछ कहती नहीं , कभी भी , लेकिन सोचती हो मुझे , हमेशा , हर दिन , हर रात I मैं जो हूँ , जो भी हूँ , तुमसे हूँ , तुम्हारी हूँ   तुम में हूँ , तुम हूँ मैं ! मैं नहीं होती , माँ ! अगर तुम मेरी माँ नहीं होती I नयन  मई १०,२०१५ 

तुम

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जीत  हार में बदल गई I अपने बेगानों में बदल गए I  अब लोग कहते  हैं मुझसे, मुझे शिकायत नहीं होती I शिकायत को भी, आदत में बदलते देखा है मैंने l  उम्मीद अफ़सोस में बदल गई I इरादे  अफ़सानो में बदल गए I अब लोग कहते हैं मुझसे , मुझे  ख्वाहिश  नहीं होती I ख्वाहिश को भी , गुनाह में बदलते देखा है मैंने l  सच झूठ में बदल गया I वादे यादों में बदल गए I अब लोग कहते हैं मुझसे, मुझे भरोसा नहीं होता I तुमको भी तो ,  बदलते देखा है मैंने l ज़िन्दगी सबक में बदल गई I साँसे सजा में बदल गयीं I डर हकीकत में बदल गया I मुस्तक़बिल अतीत में बदल गया I अब  लोग पूछते हैं मुझसे,   क्या   मुझे दर्द नहीं होता ? दर्द को भी,  राहत में बदलते देखा है मैंने l निधि भारती  मई ३०, २०१५  Image courtesy : Google 

तुम

केवल तुम हो , प्रेरणा से वेदना तक , अभिव्यक्ति से अनुभूति तक , अस्तित्व से जीवन तक I मेरे प्रत्येक श्वास के आरोह -अवरोह के सूत्रधार हो तुम, मेरी आत्मा, मेरे अंतस ,मेरी चेतना के आकार हो तुम, तुम्हे क्या कहूँ तुम्हारे बारे में, मेरे शिल्पकार हो तुम I तुम्हारा स्पर्श, जैसे जीवन का सजीव स्वरुप, मन के असंख्य तारों को झंकृत करता, कामनाओं का नवीन रूप, तुम्हारी आँखें मुझे देखती हुईं, जैसे प्रेम का साक्षात प्रतिरूप I तुम्हारा होना जैसे जीवन की गति है , अचेतन में सदैव सुरक्षित , मेरी स्मृति है , तुम्हारा प्रेम ही, प्रारंभ, वर्तमान और मेरी परिणति है I अनुरोध से विरोध तक , प्रेम से प्रेम तक , जीवन से मृत्यु तक I केवल तुम हो I निधि भारती १८ मई ,२०१५

Putra Jeevak versus K.C. Tyagi and MSM : Idiots of the Idiot Box.

I am tired of seeing the tired face of Baba Ramdev and K.C. Tyagi on different channels. Except the anchor and Tyagi ji's Nehru coat, nothing changes at all. Being a girl, I am convinced and I don't see any harm in the name of the medicine. Living in a time which is said to be progressive for women, I have not seen any girl in  TV advertisements except Vidya Balan or a few, who appears on TV to promote something which is not related to find new ways to enhance  girl's beauty. Be it Dove, Fair & Lovely, Olay, Lakme or anything, it is all about how a girl can look beautiful. I correct myself here ! not beautiful, its about looking more and more beautiful. Impressive philosophies and  Punchlines like ....you are worth it ! Wow !  Gorepan se kahin zyaada, saaf gorapan !!! and a lot more. A beautiful girl is making a fake and false promise to all girls out there which has been proven wrong ,a brand is selling its products and earning crores by maki