बस यूँ ही
१.इश्क़ की रस्में अजीब ,
तुम्हारी होना भी है और तुम्हें बताना भी नहीं
२.ज़िन्दगी और इश्क़ की रस्में दोनों निभाते रहे
जीते रहे ,जलते रहे और दिल को समझाते रहे
३. तुम बेवफा कैसे हुए ?
खुदगर्ज़ तो हम हैं की तुम्हारे बिना भी ज़िंदा रह लिए
४. दुनिया कहती रही की तुम बेवफा हो जो हमारे आंसू पोछने नहीं आये ,
लेकिन हमें आज भी यकीन है की तुम्हें हमारे आंसू पसंद नहीं
५ .इश्क़ भी मुमकिन है दोबारा और ज़िन्दगी भी
रात के बाद सुबह आती तो है हर रोज
निधि
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