तुम्हारे लिए - 2
1. उनका शौक़ था कि हम उन पर लिखें और हमारी ख्वाहिश थी कि वो हमें पढ़ेँ इश्क़ की स्याही ज़िन्दगी के पन्नों पे कुछ यूँ बिखरी , कि वो अपने वज़ूद से हमें लिखते रहे हम अपनी मोहब्बत से उन्हें पढ़ते रहे 2. कहा हमने उनसे की मोहब्बत का हुनर नहीं हम में , वो ज़िन्दगी बन गए और कहा बस साँसे लेती रहिये 3. ये ग़म भी शौकिया है और ये नफरत भी , खुद खुदा से दुआ मांगी थी मोहब्बत की ये मत समझना की दिल में कोई दर्द लिए बैठे हैं, लिखना आदत है हमारी और तलब है शायरी की Nidhi